इस विधि से शरीर में होंनें वाले रोगों और रोग के कारणों को दूर करनें के लिये और तीनों दोषों अर्थात त्रिदोष यथा वात, पित्त, कफ के असम रूप को समरूप में दुबारा स्थापित करनें के लिये विभिन्न प्रकार की प्रक्रियायें प्रयोग मे लाई जाती हैं।
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इस विधि से शरीर में होंनें वाले रोगों और रोग के कारणों को दूर करनें के लिये और तीनों दोषों अर्थात त्रिदोष यथा वात, पित्त, कफ के असम रूप को समरूप में दुबारा स्थापित करनें के लिये विभिन्न प्रकार की प्रक्रियायें प्रयोग मे लाई जाती हैं।